राज्य खाद्य निगम में फिटनेस फेल गाड़ियों का परिचालन, नहीं होती कारवाई, बड़ी लापरवाही

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बिहार राज्य खाद्य निगम की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। ताजा मामला निगम में संचालित उन गाड़ियों से जुड़ा है, जिनकी फिटनेस समाप्त हो चुकी है, फिर भी ये गाड़ियाँ धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ रही हैं। इन वाहनों का उपयोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अनाज पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।

 

ये कागजात एक निजी स्कूल की गाड़ी का है। जो कई मानक पर फेल है बावजूद पुलिस प्रशासन के आंखों के सामने हर दिन प्रयोग में लाया जा रहा है। आम नागरिक अगर फिटनेस फेल गाड़ी लेकर सड़क पर निकले तो तुरंत चालान, जुर्माना या जब्ती की कार्रवाई की जाती है, मगर सरकारी अमले की गाड़ियों पर न तो कोई नजर रखी जा रही है और न ही कोई कार्रवाई हो रही है।
सोनम कुमारी, AGM लालगंज

इस प्रकार की लापरवाही से किसी दिन बड़ा हादसा भी हो सकता है। कई गाड़ियाँ जर्जर हालत में हैं। बावजूद इसके अधिकारियों की ओर से कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर क्यों नियमों का पालन सिर्फ आम जनता पर लागू होता है? क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह अपने ही विभागों में चल रही अनियमितताओं पर सख्ती से कार्रवाई करे? क्या कानून सिर्फ आम जनता के लिए है अधिकारी और उनके कर्मचारी अपनी मनमानी करेंगे अगर कोई हादसा होता है तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा।
फिटनेस फेल गाड़ियों से अनाज का परिवहन न सिर्फ सड़क पर चल रहे अन्य वाहनों व नागरिकों के लिए खतरा है, बल्कि अनाज की गुणवत्ता पर भी असर डाल सकता है। गर्मी और बारिश में ऐसे वाहनों में खराबी आना आम बात है, जिससे अनाज खराब होने या दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।


अब सवाल उठता है कि क्या बिहार राज्य खाद्य निगम इन वाहनों की नियमित जांच करता है?
ऐसे कितने वाहन हैं जो फिटनेस के बिना परिचालन में हैं? और सबसे अहम सवाल क्या जिम्मेदार अफसरों पर कोई कार्रवाई होगी?
अब देखना ये है कि वरीय अधिकारी इस गंभीर लापरवाही पर क्या कदम उठाती है।


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