प्रेमचंद ने साहित्य को नई दिशा व समाज को नई दृष्टि दी: डॉ.कमल कुमार बोस

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सांस्कृतिक -साहित्यिक संस्था नवगीतिका लोक रसधार, सोनपुर द्वारा कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकारों द्वारा कथा सम्राट प्रेमचंद को भावभीनी शब्दांजलि अर्पित की गई। संगोष्ठी में प्रेमचंद : कल, आज और कल विषयक वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डॉ. उषा किरण खान, गगनांचल पत्रिका के संपादक डॉ. आशीष कंधवे, संत जेवियर कॉलेज रांची के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. कमल कुमार बोस, वरिष्ठ कथाकार शंभू पी सिंह, संस्कृतिकर्मी अविनाश कुमार झा, युवा कवयित्री कोमल तथा संस्था की सचिव लोक गायिका डॉ. नीतू कुमारी नवगीत ने वर्तमान दौर में प्रेमचंद के साहित्य की प्रासंगिकता पर अपने विचार रखे। वरिष्ठ कथाकार डॉ. उषा किरण खान ने कहा कि प्रेमचंद साहित्य में पूरे देश की आत्मा का वास है। उन्होंने सवाल किया था कि क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात नहीं कहोगे? यह सार्वजनिक प्रश्न है। इसकी प्रासंगिकता हर युग में बनी रहेगी। प्रेमचंद की तुलना सिर्फ प्रेमचंद से ही हो सकती है।

वरिष्ठ साहित्यकार एवं चिंतक, आधुनिक साहित्य तथा विदेश मंत्रालय की पत्रिका गगनांचल के संपादक डॉ. आशीष कंधवे ने कहा कि प्रेमचंद विराट भारतीय जीवन दर्शन के महागाथाकार हैं। उनके साहित्य के माध्यम से हम लोकरंजन से लोकमंगल की यात्रा कर सकते हैं। बाल्मीकि से व्यास और कालिदास से तुलसीदास तक के साहित्य का मूल तत्व प्रेमचंद साहित्य में मिलता है।
संत जेवियर कॉलेज रांची के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. कमल कुमार बोस ने कहा कि प्रेमचंद के साहित्य में स्नेह से आपूरित जीवन, करुणा, ममता, सौंदर्य और सर्वकालिक मूल्य बोध हैं। वह समग्रता में धर्म-कर्म न्याय प्रियता और संघर्षशीलता से जुड़े नए प्रतिमान गढ़ते हैं । उन्होंने प्रेमचंद पर लिखी कविता भी सुनाई-
जन जन के रचनाकार हैं प्रेमचंद
सभी विधाओं के कलमकार हैं प्रेमचंद
जीवन के व्याख्याता हैं प्रेमचंद
हैं चिंतक,विचारक और कार्यकर्ता भी हैं प्रेमचंद
कलम के सिपाही ने दी साहित्य को नई दिशा
सामाजिकों को दी नई दृष्टि
लाइट हाउस बनी उनकी रचना सृष्टि
साहित्य वही जो दिल दिमाग को प्रभावित कर सके
साहित्य वही जो सच्चाइयों से मन प्राण को आभासित कर सके
सुनाया दर्द हमको माटी का प्रेमचंद ने
समाज के ज़ख्म पर मरहम लगाई प्रेमचंद ने
समय के साथ किया संवाद प्रेमचंद ने
मिटाना चाहा समाज के सभी विवादों को प्रेमचंद ने ।
वरिष्ठ कथाकार शंभू पी सिंह ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियों में महिलाएं मुखर हैं और समय से आगे चलती हैं। बदलते दौर की हमारी जिंदगी में प्रेमचंद सृजित पात्र हमारे साथ मौजूद रहते हैं। युवा कवयित्री कोमल ने कहा कि प्रेमचंद का रचना संसार काफी विस्तृत है। उन्होंने डेढ़ दर्जन उपन्यास और 300 से अधिक कहानियां लिखी और हर कहानी अपने आप में विशिष्ट है।

रंगकर्मी और फिल्म समीक्षक अविनाश कुमार झा ने कहा कि प्रेमचंद ने समाज की हकीकत को बिना लाग-लपेट के सबके सामने रखते हुए समाज को आदर्शवादी रास्ता दिखाया। शतरंज के खिलाड़ी, कफन, सेवा सदन, गोदान और सद्गति सहित अनेक कहानियों और उपन्यासों पर फिल्में तथा धारावाहिक बनाई गई हैं। फिर भी उनकी सैकड़ों दूसरी कहानियों पर फिल्म तथा धारावाहिक बनाना शेष है। प्रेमचंद करीब 3 सालों तक मुंबई में रहे । उन्होंने मजदूर फिल्म की पटकथा भी लिखी थी।
वेबिनार में सभी का स्वागत करते हुए लोक गायिका डॉ नीतू कुमारी नवगीत ने कहा कि प्रेमचंद साहित्य को प्रकाश दिखाने वाली मशाल के रूप में देखते रहे। अपनी कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से उन्होंने सच का बयां किया और फिर समाज के सामने आदर्श भी स्थापित किए। बड़े घर की बेटी में आदर्श बहू, नमक का दारोगा में आदर्श अधिकारी और पंच परमेश्वर में आदर्श न्यायमूर्ति की रूपरेखा उन्होंने प्रस्तुत की। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक डॉ. ध्रुव कुमार ने प्रेमचंद की पत्रकारिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रेमचंद की पत्रकारिता समाज को जोड़ने वाली और पथ प्रदर्शित करने वाली पत्रकारिता रही। चमक-दमक वाली पत्रकारिता को प्रेमचंद की पत्रकारिता से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। वे ऐसे पत्रकार थे, जो सनसनीखेज खबरों और व्यवसायिक हितों को तरजीह न देकर पत्रकारिता को बुनियादी सवालों से जोड़ना चाहते थे।


संगोष्ठी में डॉ. राज श्रीवास्तव, कवि सिद्धेश्वर आदि ने भी अपने विचार रखे। मनोज कुमार बच्चन डॉ पायल कुमारी, प्रिया कुमारी, लोक गायिका वंदना शुक्ला, चिंतक कृष्णा पाठक, वरिष्ठ लेखिका मीनाक्षी जोशी, सोमनाथ अरोड़ा, बीना दुबे, सुदेशना बनर्जी, प्रेम शिव शिव, नीलांजना बनर्जी, सुनील कुमार सन्नी समेत कई गणमान्य ने वेबिनार में भाग लिया।


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