
बच्चे देश के भविष्य होते हैं ये कहना हमारा नहीं बल्कि उनके अभिभावक और सरकार का है। समाज के उन प्रबुद्ध लोगों का है जो अपने बच्चों का नामांकन निजी विद्यालयों में कराने में दिलचस्पी रखते हैं। रखना भी चाहिए आखिर बच्चों के भविष्य का सवाल है। मगर आजकल के अभिभावक बच्चों का भविष्य संवारने के भागम भाग में हर दिन उन्हें जिंदगी से जंग लड़ने के लिए निजी विद्यालयों के वाहनों में छोड़ दे रहे हैं। लालगंज नगर और प्रखंड क्षेत्र में कई ऐसे स्कूल हैं जिनके वाहन मानक के बिल्कुल विपरीत हैं। कहने का मतलब सरकार और प्रशासन ने स्कूल बस और गाड़ियों के लिए जो मानक तय किया है उसका पालन सही से बिल्कुल भी नहीं हो रहा है।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि निजी स्कूल के संचालक आपके बच्चों को जिस गाड़ी में बैठाकर लाते लेजाते हैं। उस गाड़ी का फिटनेस फेल है। मतलब उस गाड़ी का पॉल्यूशन प्रमाण पत्र फेल है। इंश्योरेंस फेल है। फर्स्ट एड और फायर सेफ्टी भी नदारत है।

किसी गाड़ी में तो नंबर प्लेट तक नहीं है। रजिस्ट्रेशन समेत ऐसे कई मानक जिन्हें सरकार द्वारा तय किया गया है वो सब में फेल है। हम जो यहां सबूत दे रहे हैं वो सिर्फ बानगी मात्र है। अगर जांच की जाए तो कई और राज खुलेंगे। एक दो तीन नहीं बल्कि दर्जनों स्कूल संचालकों की लापरवाही सामने आएगी। कई निजी विद्यालय संचालक तो बच्चों को स्कूल गाड़ी में बेंच लगाकर क्षमता से अधिक बैठाकर परिवहन करते हैं। शिक्षा को सरकार भले ही नॉन प्रॉफिटेबल की सूची में रखी हो मगर ये निजी स्कूल वाले इसे मोटी कमाई का जरिया बनाकर चल रहे हैं। इसको लेकर वैशाली टुडे आप सभी अभिभावकों से अपील करता है कि बच्चे आपके हैं तो उनकी जिंदगी से किसी को भी खिलवाड़ करने का हक न दें। आप सुविधा शुल्क देते हैं तो जागरूकता का परिचय देते हुए स्कूल संचालकों से सुविधा बढ़ाने की मांग के साथ बच्चों की सुरक्षा को लेकर सचेत करें।
#आइए एक नजर में आपको बताते हैं कुछ प्रमुख मानक जो एक स्कूल गाड़ी में होनी चाहिए।
#किसी भी स्कूल की गाड़ी जिससे बच्चों का परिवहन किया जाता है उस गाड़ी का रंग पिला होना चाहिए।
#उस गाड़ी की खिड़की पर बाहर से ग्रिल या अन्य सुरक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए।
#स्कूल गाड़ी में फायर सेफ्टी का ख्याल रखना होता है।
#स्कूल गाड़ी में फर्स्ट एड किट का होना जरूरी है।
#स्कूल गाड़ी के चालक के पास लाइसेंस और अनुभव के साथ धैर्य भी होना चाहिए।
#सबसे महत्वपूर्ण बात की जिस गाड़ी में बच्चे बैठते हैं उस गाड़ी का फिटनेस दुरुस्त होना चाहिए।
#गाड़ी में स्पीड गवर्नर लगा होना चाहिए
अभी सड़क सुरक्षा माह तुरंत समाप्त हुआ है। ऐसे में जिला सड़क सुरक्षा समिति के सदस्य मुखिया संघ अध्यक्ष गणेश राय ने जिला शिक्षा पदाधिकारी और परिवहन पदाधिकारी से मांग किया है कि सिर्फ ट्रिपल बाइक सवार और हेलमेट ही नहीं बल्कि नौनिहालों को स्कूल पहुंचाने वाली गाड़ियों की भी जांच की जाए।