लालगंज अगरपुर निवासी टेकारी राज दरबार के राज पुरोहित आचार्य पंडित सुदामा मिश्रा शाष्त्री के जेष्ठ पुत्र आचार्य त्र्यम्बकेश्वर मिश्रा का मंगलवार अहले सुबह निधन हो गया। उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर दौर गयी। निधन से पहले कई बार वे बीमार हुए जिसके बाद काफी इलाज के बाद ठीक हो गये। मंगलवार अहले सुबह अचानक हार्ट अटैक होने से उनका निधन हो गया। देर शाम उनके बड़े पुत्र आचार्य यज्ञानंद मिश्रा ने मुखाग्नि दी। इसके बाद वे पंचतत्व में विलीन हो गए।
उनके भाई हृषिकेश मिश्रा, पुत्र यज्ञानंद मिश्रा, प्रभाकर, मिश्रा, दिवाकर मिश्रा व राजेश कुमार मिश्रा आदि ने बताया कि कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से उन्होंने आयुर्वेद में आचार्य और काशी हिंदू विश्व विद्यालय बनारस के साहित्य और व्याकरण विभाग्यध्यक्ष डॉ. त्रिनाथ शर्मा के सान्निध्य में लंबे समय तक बनारस में रहकर उन्होंने वेद, व्याकरण और सहित्यादी में महारत हासिल किया।
-प्रधानाध्यपक के साथ बड़े विद्वानों की श्रेणी में थे शामिल
आचार्य त्र्यम्बकेश्वर मिश्रा लालगंज बिहारी शुक्ल संस्कृत विद्यालय में 1975-1999 तक प्रधानाध्यापक के पद पर रहे। साथ ही उन्होंने कई प्रदेशों में विश्वकल्याण के लिए अश्वमेघ महायज्ञ समेत कई बड़े बड़े अनुष्ठान को सम्पादित कराया है। उनके परिजनों ने बताया कि आचार्य त्र्यम्बकेश्वर मिश्रा संस्कृत साहित्य ही नहीं बल्कि आयुर्वेद के भी बड़े जानकार थे। प्रखण्ड ही नहीं बल्कि जिलास्तर पर वे कर्मकांड व आयुर्वेद आदि में उन्हें महारत हासिल था। बड़ी और गंभीर पुरानी बीमारियों का उन्होंने आयुर्वेद से उपचार कर क्षेत्र में आयुर्वेद का मान बढ़ाया। वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए।
– अखिल भारतीय धर्म संघ के संरक्षक के थे सहपाठी
अखिल भारतीय धर्म संघ के संरक्षक धर्म सम्राट पंडित सदानन्द सरस्वती उर्फ सन्त शरण वेदांती महाराज के साथ उन्होंने बनारस के रुइया पाठशाला में अध्ययन किया था। वहीं नामिडीह निवासी कृषि के क्षेत्र में दर्जनों पुरस्कार से नवाजे गए किसान जितेंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार निर्मल कुमार चक्रवर्ती, रमन शुक्ला, प्रो. विनय कुमार सिंह आदि ने बताया कि वे अपने समय के अंतिम वैदिक विद्वानों के प्रतिनिधि के रूप में जाने जाते थे।