भैंस और कुत्ते की ऐसी दोस्ती आपने नहीं देखी होगी, कितने प्यार से कुत्ता चराने ले जाता है देखिए

Spread the love

“अरसा हुआ एक तलाश में सच्ची मोहब्बत के लिए
जानवर लाया हूं घर आज एक बेशुमार मोहब्बत के लिए”…

भैंस की रस्सी पकड़ कर उसे चराने ले जाता उसका दोस्त कुत्ता।
भैंस और उसकी डोर पकड़े यह कुत्ता बिहार के वैशाली ज़िले के लालगंज स्थित रसूलपुर गांव में रहते हैं। कुत्ते और भैंस दोनों इसी गांव के सीताराम सिंह के हैं। बताया जाता है कि जबसे यह कुत्ता सीताराम सिंह के घर आया है,तबसे उनकी भैंस पालने की चिंता ख़त्म हो गयी है। यह कुत्ता दोपहर बाद भैंस की डोर पकड़ता है और चरने के लिए हर दिन चारागाह की ओर चल देता है। चरने के बाद फिर यह अपने ठिकाने पर ले आता है। मगर, आप सोच रहे होंगे कि भैंस का चराना ही काफी नहीं,उसकी सुरक्षा भी तो ज़रूरी है। सीताराम सिंह को मानें तो सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भी यह कुत्ता ख़ूब निभाता है।

अनेकता में एकता का अनूठा उदाहरण

भैंस और कुत्ता दोनों ही जानवर हैं,मगर प्रजाति अलग-अलग। गांव के लोग बताते हैं कि यह कुत्ता विविधता में एकता का संदेश देता है। जिस समाज में इंसान जातियों और धर्मों की बुनियाद पर बैर पालता हो…वहां ये दो अलग-अलग परिवार से आते जानवर इंसान के सामने सद्भावना और ज़िम्मेदारी का अहसास कराते हैं।
खेत

खेत की ओर भैंस को लेकर जाता कुत्ता।

कुत्ता की वफादारी का क्या है राज

अब आइये ज़रा इस बात की छानबीन करते हैं कि इंसानों के लिए कुत्ते की इस वफ़ादारी के पीछे की वजह क्या है ? दरअस्ल यह सब दिमाग़ में होने वाले ऑक्सिटोसिन के स्रावित होने के कारण है… यह रसायन इंसानों के भावनात्मक सम्बन्धों के लिए ज़िम्मेदार होता है। नयी रिसर्च बताती है कि यही रसायन,यानी ऑक्सिटोसिन कुत्तों और इंसानों के बीच के विजातीय रिश्तों के पीछे का भी कारण है।
जब इंसान और कुत्ते एक दूसरे की आंखों में देखते हैं, तो इस रसायन का स्तर काफी ऊंचा हो जाता है।दिसचस्प बात है कि एक मां और उसके बच्चे में भी इस रसायन का स्तर इतना ही होता है।

खाने से ज़्यादा तारीफ़ का भूखा होता है कुत्ता

एमआरआई के नतीजों को न्यूरोसाइंस के ज़रिए जब परखा गया, तो पता चला कि कुत्तों का दिमाग़ खाने से ज़्यादा तारीफ़ का भूखा होता है। हालांकि भले ही कुत्तों में स्नेह पाने की प्रवृत्ति होती है, लेकिन इसके असर में आने के लिए शुरुआती दिनों में इस भावना को पोषित करने की ज़रूरत पड़ती है।

खेत में भैंस को चराता कुत्ता।

कुत्ते और इंसान के करीब आने की कहानी 14,000 साल है पुरानी

जानकार बताते हैं कि कुत्ते और इंसान के करीब आने की कहानी 14,000 साल पुरानी है। एक सिद्धांत के मुताबिक़ प्राचीन काल में कुत्ते इंसानों के कचरे डालने की जगह के आस पास जमा हुए और फिर धीरे धीरे इंसानों के साथ उनकी दोस्ती बढ़ने लगी, जो आगे चल कर शिकार में मदद के कारण और भी मज़बूत होती चली गयी। रसूलपुर गांव की भैंस और कुत्ते की जोड़ी इस बात की पुष्टि करते दिखायी देते हैं कि
कुत्तों की सामाजिक ज़रूरतों का ख़्याल रखना ज़रूरी है,इनकी वफ़ादारी के बदले उन्हें महज़ अपना साथ और प्यार देने की ज़रूरत है.”


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *