वैशाली के पास बखरा स्थित थाइलैंड बौद्ध मंदिर में उस वक्त शोक की लहर दौड़ गई जब विवत्ता पता भीखूनी अर्थ थेरी महा प्रजापति गौतमी के निधन की खबर फैली। खबर फैलते ही मंदिर में रह रहे अन्य लोगों में शोक व्याप्त हो गया। बताया गया कि वे मंदिर की प्रधान भिखुनी थी, जो लंबे समय से बीमार चल रही थी। एसकेएमसीएच में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड दिया। हालांकि इस बीच वे कोरोना पॉजिटिव हो गई थीं। मारने से पहले उनका रिपोर्ट कोरोना निगेटिव भी हो चुका था। मगर ज्यादा अस्वस्थ रहने के कारण उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। इस बीच इलाज के दौरान ही उन्होंने दम तोड दिया। उनके मानने वालों के मुताबिक कुछ कागजी प्रक्रिया के कारण उनके शव को मंदिर को तुरंत नहीं सौंपा गया। बुद्ध इंटेनेशनल रिसर्च एंड वेल फेयर सोसायटी के उपाध्यक्ष सुजीत कुमार ने बताया कि इस घटना की जानकारी भिखूनी के परिजनों को दे दी गई है। उनके सगे संबंधी थाईलैंड से इंडिया के लिए रवाना हो गए हैं जो 4 दिनों के बाद बखरा स्थित बौद्ध मंदिर में पहुंचेंगे। इसके बाद बौद्ध रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
बताया यह भी गया कि बखरा स्थित मंदिर के लिए यह काफी दुखद घटना है। माता जी के रहने से यहां के आसपास के लोगों को काफी मदद मिलता था। सुजीत कुमार ने बताया कि जब देश कोरोना त्रासदी से जूझ रहा था तब माता जी वैशाली और इसके आसपास के लोगों को काफी मदद की थी। जरूरतमंदों के बीच सुखा राशन का वितरण किया था। मंदिर के माध्यम से अक्सर वो निसहाय लोगों की सेवा करती रही हैं। उनके निधन से बौद्ध धर्म को मानने वालों ने गहरा शोक प्रकट किया है। शोक जताने वालों में हरियाणा की अय्य धम्मा दिन्ना, बरमिश बौद्ध मंदिर सारनाथ से प्रमोद मौर्य, डॉक्टर पीसी चंदा श्री, वैशाली वर्मा बौद्ध मंदिर यूएन ध्वजा, नालंदा के धम्मा रत्ना, बौद्ध गया के भंते अनिरुद्ध, इंटरनेशनल त्रिपिटक चांटिंग की अध्यक्ष वांग मो डीकसी आदि लोग शामिल हैं।