नई दिल्ली. तालाब में कमल की पत्तियां जिस तरह खुद पर धूल-मिट्टी का एक कण जमा नहीं होने देतीं, वैज्ञानिकों ने सोलर पैनल को साफ रखने की ऐसी ही एक तकनीक विकसित की है। इजराइल की बेन-गुरियन यूनिवर्सिटी ने सोलर पैनल की सतह ऐसी बनाई है, जो 98% तक धूल को ठहरने नहीं देती। सोलर पैनल पर धूल जमा होने पर यह प्रकाश को कम अवशोषित कर पाता है और क्षमता घटती है। खासकर रेगिस्तानी इलाकों में ऐसा अक्सर होता है।
नैनोटेक्सचर की तरह काम करता है सिलिकॉन सब्सट्रेट
- शोधकर्ताओं के मुताबिक, सोलर पैनल में लगे फोटोवोल्टैक सेल्स में खास तरह के सिलिकॉन सब्सट्रेट को लगा असर देखा गया। सिलिकॉन सब्सट्रेट एक सेमीकंडक्टर की तरह भी काम करता है। यह बिल्कुल कमल की पत्तियों पर मौजूद नैनोटेक्सचर की तरह काम करता है, जो पानी को बूंदों के रूप में गिरा देती और गंदगी को दूर रखती है। इसी तरह रिसर्च में दावा किया गया है कि सोलर पैनल में सिलिकॉन सब्सट्रेट के नैनोवायर बनाए गए हैं। इस पर जलविरोधी पर्त चढ़ाई गई है।
शोधकर्ताओं का कहना है सोलर पैनल की ऊपरी पर्त में बदलाव करके धूल की मात्रा को कम किया जा सकता है। इस तरह सौर ऊर्जा का इस्तेमाल और भी बेहतर हो सकेगा। रिसर्च में दावा किया गया है कि नई तकनीक इजराइल और दूसरे देशों के धूल भरे रेगिस्तानी क्षेत्रों में सोलर पैनल को साफ रखने में मदद करेगी। साथ ही क्षमता बरकरार रखने में कारगर साबित होगी। शोध में नई तकनीक से धूल हटाने की दर को 48 फीसदी से बढ़ाकर 98 फीसदी तक लाने में सफलता हासिल हुई है।
शोधकर्ता टेबिया हेकेथलर के मुताबिक, जब हम कमल के फूल को देखते हैं तो पाते हैं कि इसकी पत्तियों पर धूल नहीं होती और न रोगाणु पाए जाते हैं। इसकी सतह अलग किस्म की होती है जिस पर मोम की बेहद बारीक जलविरोधी पर्त होती है जो पानी पड़ने पर बूंद को टिकने नहीं देती। इससे ही प्रेरित होकर नई तकनीक को विकसित किया गया है। टेबिया का कहना है कि रेगिस्तानी इलाकों में सोलर सेल पर रेत टिकी रहती है जिसे बार-बार हटाना मुश्किल होता है, अब यह आसान हो सकेगा।