नगर निकाय चुनाव को लेकर इस वक्त की बड़ी खबर है। पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद 10 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को होने वाले चुनाव को रद कर दिया गया है। इसी के साथ लालगंज समेत तमाम जगहों पर आदर्श आचार संहिता भी समाप्त हो गई। अर्थात क्षेत्र से आदर्श आचार संहिता को हटा दिया गया है। अब किसी भी पद के प्रत्याशी किसी भी माध्यम से अपना चुनाव प्रचार प्रसार करें या ना करें ये उनके बुद्धि विवेक पर निर्भर करता है। अब अगली चुनाव के तारीख की घोषणा कब होगी इस संबंध में आधिकारिक रूप से कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है। हालांकि पटना हाई कोर्ट के फैसले के विरोध में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाने जा रही है।
आपको बता दें कि कोर्ट से आए फैसले के बाद चुनाव आयोग के अधिकारियों ने तकरीब आठ घंटे तक मैराथन बैठक की। जिसमें दूसरी तिथि की घोषणा बाद में करने की बात सामने आई।
वहीं सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार इसी साल छठ के बाद नवंबर महीने में चुनाव हो सकता हैं हालांकि इसकी संभावना न के बराबर है। एक कयास यह भी लगाया जा रहा है कि चुनाव लंबी अवधि या यूं कहे सालभर तक के लिए भी टल जाने की संभावना है।
दूसरी ओर चुनाव रद्द होने से महागठबंधन और एनडीए में रार ठन गया है। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्र सरकार पर एक साजिश के तहत चुनाव को खारिज करवाने का आरोप लगाया है। तो वहीं विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि इसका जिम्मेवार मुखमंत्री नीतीश कुमार खुद हैं। उन्होंने ही नियम को नजरंदाज कर अपनी जिद से चुनाव आयोग पर दबाव बनाया जिसका परिणाम आज सभी को भुगतना पर रहा है। उधर उन प्रत्याशी की बेचैनी बढ़ गई है जिन्होंने पानी की तरह पैसे को बहाया है।