शारदीय नवरात्र के पावन मौके पर जगत जननी मां जगदम्बा के नौ स्वरूपों की पूजा बड़े ही भक्तिभाव से श्रद्धालु करते हैं। सच्चे मन से बिना किसी प्रकार की शंका पाले मां की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। माता के पूजन की कई सारी विधियां वेदों पुराणों में वर्णित है। पूजा के साथ मां को इस दौरान कई प्रकार के प्रसाद का भोग लगाने का भी प्रावधान है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि नवरात्र के पहले दिन से मां को कैसा भोग लगाए कौन से प्रसाद का भोग लगाने से किस प्रकार के फल की प्राप्ति होगी।
मां के लिए नौ दिनों का नौ भोग।
पहले दिन मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होती है। इस दिन मां को घी का भोग लगाएं। इससे रोगनाश होता है। दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। इस दिन शक्कर का भोग लगाना सर्वथा उचित माना जाता है। इससे दीर्घायु की प्राप्ति होती है। तीसरे दिन मां के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा होती है। इस दिन मां को दूध का भोग लगाना चाहिए। इससे आपदा से मुक्ति मिलती है। चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। इस दिन माता को पुआ का भोग लगाया जाता है। इससे विघ्ननाश होता है। पांचवे दिन स्कंद माता की पूजा होती है। श्रद्धालुओं को केले का भोग लगाना चाहिए। इससे मां भक्तों को बुद्धिमता से समृद्ध करती हैं। छठे दिन कात्यायनी माता की पूजा की जाती है और मधु का भोग लगाया जाता है। ऐसा करने से तेज और कांतिमान से भक्त परिपूर्ण होते हैं। सातवें दिन मां के कालरात्रि स्वरूप की पूजा होती है। इस दिन गुड़ का भोग लगाना चाहिए। इससे शोकनाश होता है। आठवें दिन महागौड़ी मां की पूजा होती है। और इस दिन नारियल का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से ताप नाश होता है।
नौवें दिन माता के अद्भुत रूप सिद्धिदात्री की पूजा होती है और इन्हें लावा का भोग लगाया जाना बड़ा उत्तम माना जाता है। ऐसा करने से लोक परलोक के सुख की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। इस प्रकार मां के नौ स्वरूपों की आराधना करते हुए आप अपनी पूजा को संपन्न कर सकते हैं।