सरकार की कुछ योजनाएं घोषणा बनकर रह जाती है तो कुछ का परमाणु परीक्षण के दौरान ही दम घुट जाता है। कई सारी योजनाएं छह महीने से सालभर के अंदर फाइलों में सिमट जाती है। आज हम बात कर रहे है बाल विकास परियोजना विभाग की। जहाँ पूरक पोषाहार के मामले में आये दिन रिसर्च चलता रहता है। आंगनबाड़ी केंद्र पर 3 से 6 साल तक के बच्चों को पहले गर्म खाना के रूप में खिचड़ी, पुलाव, हलवा व खीर दिया जाता था। फिर बाद में अंडा, दूध और अब पूरक पोषाहार के रूप में लड्डू देने की योजना की शुरुआत की गई है। जानकर आश्चर्य होगा कि अंडा देने की योजना दो साल के अंदर ही ठंडे बस्ते में चली गयी। जिसके बाद दूध देने की बारी आयी। बीते 6 महीने की बात की जाए तो मुश्किल दो महीने ही बच्चों को दूध मिल सका। अब विभाग ने गुरूवार से बच्चों को सत्तू का लड्डू खिलाने की योजना की शुरुआत की है। मज़े की बात है कि इस योजना की शुरुआत करीब 5 से 6 बच्चों को लड्डू खिलाकर खानापूर्ति कर दी गई।
जब इस मामले में लालगंज बाल विकास परियोजना पदाधिकारी गीता कुमारी से पूछा गया तो उन्होंने ये कह कर पल्ला झाड़ लिया कि ये सरकार की योजना है सरकार ही जाने। जब जैसा आदेश आता है या फिर आपूर्ति की जाती है उस हिसाब से लाभुकों में बांट दिया जाता है। अब देखना ये लाजमी होगा कि इस लड्डू का नियमित वितरण होता है या फिर अंडा और दूध की तरह ये भी कुछ ही दिनों में फाइलों में दब जाएगा।