हरियाली की चाह में वैरागी बना रतन…
रतन रंजन ने साइकिल से भारत भ्रमण कर पर्यावरण की अलख जगाने का काम किया है। पर्यावरण बचाने में अपने छोटे से योगदान का लक्ष्य लेकर रतन ने पूरे देश में साइकिल से भ्रमण कर लोगों का जागरूक करने का काम किया। साथ ही हर प्रदेश में कम से कम एक पौधा लगाने का काम किया है। हरियाली की चाह में रतन ने विगत पांच माह तक घर-परिवार को छोड़कर वैरागी बन गया था। रतन ने बताया कि उनके दादा स्व. योगेंद्र प्रसाद सह ने अपने बगीचे में बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाए थे। लेकिन अचानक से सूखने लगा। इसे बचाने के लिए जब रतन ने कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि यह पर्यावरण के प्रदूषित होने का परिणाम है। इसके बाद उसने सोचा कि अब पर्यावरण बचाने के लिए पूरे देश के लोगों को जगाना होगा। जब पर्यावरण बचाने की बात उठी तो पेट्रोल का उपयोग तो किया नहीं जा सकता, इसके बाद उसने साइकिल से ही देश भ्रमण करने का फैसला लिया। भ्रमण में उनके पिता और समाज के लोगों ने उनकी भरपूर मदद की। इसके अलावा भ्रमण के दौरान वे जहां भी गए, वहां के लोगों एवं प्रशासन ने भी उनकी भरपूर मदद की
#153 दिनों में तय की 49 हजार किलोमीटर की यात्रा
मिल चुके हैं कई अवॉर्ड
#रतन की इस उपलब्धि के लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज किया गया है।
#उन्हें फास्टेस्ट इंडिया टूर ऑन साइकिल का अवॉर्ड भी मिल चुका है।
#दिल्ली में आयोजित 14वें वर्ल्ड ह्यूमन राइट्स कॉन्फ्रेंस में कई देशों के एम्बेसडर्स की मौजदूगी में उन्हें सम्मानित किया गया था।
#बिहार स्थापना दिवस समारोह में भी रतन को समानित किया जा चुका है।
#अब उन्होंने दावा किया है कि उनके इस काम के लिए उनका जल्द ही गिनीज बुक ऑफ द वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज हो जाएगा।
#पर्यावरण संरक्षण की चिंता ने रतन रंजन को साइकिल मैन बना दिया। पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ उन्होंने साइकिल से 49000 किमी का सफर तय किया।
#153 दिनों में इतने किलोमीटर साइकिल चलाकर वे लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। इसके साथ ही रतन का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड, यूनिक वर्ल्ड रिकार्ड, गोल्डेन बुक ऑफ रिकार्ड, वर्ल्ड रिकार्ड यूनिवर्सिटी, इंडियन यंग अचीवमेंट बुक आदि में भी शामिल है।
रतन के पिता उपेंद्र सिंह वैशाली जिले के बेलवर में किसान हैं। ‘साइकिल चलाओ, पर्यावरण बचाओ’ मुहिम के तहत रतन ने भारत में सबसे अधिक साइकिल से भ्रमण किया। चार अगस्त 2013 को उन्होंने बेलवर सती स्थान से अपनी यात्रा शुरू की। तीन जनवरी 2014 को उनकी यात्रा संपन्न हुई। पांच माह से भी कम समय में देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों का भ्रमण किया। लोगों को पर्यावरण संरक्षण का पैगाम दिया।