जहां चार यार मिल जाये,वहीं हो गुलजार,जहाँ चार यार…जी हां! यह महज गाने की पंक्ति मात्र नहीं बल्कि इसे हकीकत कर रहे हैं वैशाली के चार लाल…सरोज,अभिषेक रंजन, उत्सव और पंकज जो आपस में दोस्त हैं ..चारों दोस्त लॉक डाउन में काम नहीं होने के कारण घर बैठे थे तभी अचानक समाज के लिए कुछ कर गुजरने का ख्याल आया और इस कोरोना महामारी के शिकार हुए लोगों की सेवा करने की ठानी..फिर क्या था! अपने इस मुहिम को ‘सबको भोजन सबको जीवन’ का नाम दिया और इसे सफल बनाने के लिए सभी ने पैसे इकट्ठे किये। जिससे कुछ दवा व भोजन का इंतजाम किया..
अस्पताल से कोरोना मरीजों की लिस्ट ली…इसके बाद कोरोना मरीजों के घर दवा व भोजन पहुंचाना शुरू कर दिया..
इस दौरान संक्रमितों को हर जरूरत का सामान देने लगे..इसकी जानकारी कई समाजसेवियों को हुई तो एक के बाद एक हाथ जुड़ता गया और इस तरह मददगारों का कारवां बनता चला गया..
इनकी मानें तो इस सेवा के बदले में ये कोई रकम नहीं लेते…जाहिर सी बात है कि आपदा की घड़ी में अगर एक दूसरे के लिए मदद का हाथ यूँ हीं बढ़ाते चलें तो यकीन मानिए बड़ी से बड़ी समस्या छू मंतर हो जाएंगी…
बहरहाल एक ओर जहां इस आपदा में भी चंद पैसों की लालच में कई लोग दवा, ऑक्सीजन सिलेंडर, रेमडीसीवीर और ना जानें किस किस चीज के नाम पर कालाबाजारी कर खून चूसने में लगे हैं तो वहीं समाज के हीं कुछ युवा इस प्रकार से कोरोना मरीजों की सेवा कर दुआएं बटोर रहे हैं।