मकर संक्रांति पर्व इस बार 14 जनवरी गुरुवार को मनायी जाएगी। इस बार संक्रांति पर पांच ग्रहों का खास संयोग बन रहा है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के साथ पांच ग्रह भी मकर राशि में एक साथ रहेंगे। शनि, चंद्रमा, गुरु व बुध ग्रह शुभ योग का निर्माण करेंगे। पंडितों के अनुसार इस दिन सुबह 8 : 45 से सूर्यास्त तक मकर संक्रांति का पुण्यकाल रहेगा। इसके साथ ही एक माह का खरमास खत्म हो जाएगा।
पहली बार मकर संक्रांति के बाद भी शुभ कार्य नहीं किया जा सकेगा। गुरु व शुक्र ग्रह के अस्त होने के कारण जनवरी से लेकर 21 अप्रैल तक विवाह आदि के मुहूर्त नहीं है। साथ ही लोग जनेऊ भी नहीं करा सकेंगे। आचार्य चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी व आचार्य यज्ञानंद मिश्र ने बताया कि मकर संक्रांति पर बन रहा पंचग्रहा योग यह एक ऐसा योग है जिसमें संसार का कल्याण निहित है। राजनीतिक स्थिति सुदृढ़ होंगे। देश में आर्थिक उन्नति के साथ विकास के योग भी बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक माह का खरमास खत्म हो जाएगा, मगर 22 अप्रैल तक शादी के लिए इंतजार करना पड़ेगा। 22 अप्रैल से 16 जुलाई तक लगातार शहनाई बजेगा।
तिल-गुड़ व खिचड़ी खाने की है परंपरा
आचार्य चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि तिल का संबंध शनि से है। यही वजह है कि मकर संक्रांति के दिन तिल व गुड़ खाने की भी परंपरा है। इससे शनि, राहु, केतु से संबंधित सारे दोष दूर हो जाते हैं। इस दिन बनने वाली खिचड़ी में डाली जाने वाली उड़द दाल का संबंध शनि देव से माना जाता है। वहीं हल्दी का संबंध गुरु ग्रह व हरी सब्जियों का बुध से माना जाता है। खिचड़ी में डाले जाने वाले घी का संबंध सूर्य देव से होता है, जो कल्याणकारी होता है।