साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण आषाढ़ कृष्ण अमावस्या रविवार 21 जून को चूड़ामणी योग के साथ लग रहा है। वैशाली और मुजफ्फरपुर में यह करीब 3 घंटा 32 मिनट की अवधि का होगा। ग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक लग जाएगा। शनिवार रात में ही वैशाली चतुर्मुख महादेव बाबा गरीबनाथ समेत विभिन्न मंदिरों के पट बंद कर दिये जाएंगे। जो ग्रहण की समाप्ति के बाद ही खुलेगा।
आचार्य चंद्रप्रकाश त्रिपाठी और आचार्य यज्ञानन्द मिश्रा बताते है कि रात दस बजे विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना व आरती के बाद पट बंद कर दिये जाएंगे। ग्रहण की समाप्ति के बाद मंदिर की धुलाई व देवी- देवताओं को स्नान कराने के बाद ही पुनः पूजा प्रारम्भ होगी। साथ ही लोग भी अपने घरों में स्नान कर दान- पुण्य करेंगे।
आचार्य चंद्रप्रकाश त्रिपाठी और आचार्य यज्ञानन्द मिश्रा ने बताया कि वैशाली और मुजफ्फरपुर में ग्रहण का स्पर्श सुबह 10:38 बजे प्रारम्भ होगा। ग्रहण का मध्य दोपहर 12 : 25 बजे व समाप्ति 2:10 बजे होगा। उन्होंने बताया कि सूतक काल में मंदिर में प्रवेश, मूर्ति स्पर्श, भोजन आदि के कार्य वर्जित है। बालक, वृद्ध व रोगी अत्यावश्यक फलाहार ले सकते है। आचार्य ने बताया कि ग्रहण के दौरान घर में रखे दूध, दही व घी आदि में कुश या तुलसी का पत्ता अवश्य डाल देना चाहिए।
ग्रहण काल के दौरान यह अवश्य करें
ग्रहण काल आरम्भ होने से समाप्ति के मध्य की अवधि में मंत्र ग्रहण, मंत्र दीक्षा, जप, उपासना, पाठ, हवन, मानसिक जाप करना कल्याणकारी होता है।पके भोजन में तुलसी या कुश अवश्य डाल दें।ग्रहण समाप्ति के बाद घर में गंगाजल अवश्य छिड़कें। पके भोजन में तुलसी या कुश अवश्य डाल दें
ग्रहण काल के दौरान यह भूल कर भी न करें
सूर्य ग्रहण की अवधि में देव मूर्तियों को स्पर्श नहीं करें। नए कार्य का शुभारंभ न करें, तुलसी पौधे का स्पर्श भी नहीं करें। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें। खाली आखों से सूर्य को न देखें। इस दिन महिलाओं को कुछ भी नहीं काटनी चाहिए। इस दौरान सोने से अवश्य बचें।