मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक!
मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
जिस पथ पर जाये वीर अनेक!
पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की पंक्ति बरबस याद आ गयी जब महज 22 वर्ष के एक वीर सपूत जयकिशोर का पार्थिव शरीर उसके पैतृक गांव चकफतेह पहुंचा। अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ को कौन कहे मानो फूल भी इस पार्थिव शरीर पर लिपटने के लिए आतुर हो।
गाड़ी पर तिरंगे में लिपटे, फूल मालाओं से पटे शहीद के अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। भारत माता की जय, हिन्दुस्तान जिंदाबाद, चीन मुर्दाबाद के गूंजते नारों के बीच गाड़ी आगे बढ़ रही थी तो वहीं लोगों की भीड़ भी उसी चाल में बढ़ती दिखी।
पार्थिव शरीर को लेकर आये सैनिकों ने ताबूत में बंद शहीद के शव को उतारा जिसके बाद उसे ताबूत से बाहर निकाला गया। जहाँ परिवार वाले सहित उमड़ी भीड़ ने भारत माँ के लाल का अंतिम दर्शन किया। इस दौरान वहाँ खड़े हर व्यक्ति की आँखों नम हो रही थी। अपने वीर सपूत को ताबूत में देख लोगों का कलेजा फटा जा रहा था तो वहीं दुश्मन देश चीन के इस कायराना हमले को लेकर लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर दिख रहा था।
वैशाली टूडे सलाम करता है उस पिता और उस भाई को ..जो अपने वीर शहीद सपूत के पार्थिव शरीर को कंधा देते वक्त भी यह कह रहा हो कि आज हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो गया…हम आज भी कई लाडलों को सेना में भेजने के लिए तैयार है जो दुश्मन को सबक सिखाये।
महनार के गनीनाथ गंगा घाट पर शहीद जय किशोर को सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। प्रभारी मंत्री नंदकिशोर यादव, श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा के अलावा वैशाली जिला के डीएम, एसपी,विधायक और अन्य गणमान्य लोगों के साथ-साथ सेना के जवानों ने भी शहीद के पार्थिव शरीर पर फूल-माला चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी। जिसके बाद शहीद जयकिशोर की अंत्योष्टि की गई और वे पंचतत्व में विलीन हो गए।
जहां प्रभारी मंत्री नंदकिशोर यादव ने घटना को लेकर शोक जताया वहीं इस घटना के लिए चीन को जिम्मेवार ठहराते हुए मुंहतोड़ जवाब देने की बात कही। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि देश के दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए एकजुटता का परिचय दिया जाएगा।
मरते भी गए… कहते भी गए
आजादी के दीवाने
जीना तो उसी का जीना है
जो मरना वतन पर जानें…